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कंप्यूटर की संरचना (structre of computer )

शुक्रवार, 24 फ़रवरी 2023
कोई भी कंप्यूटर चाहे छोटा हो या बड़ा चाहे वह नया हो या पुराना उसके 5 भाग होते हैं इनपुट आउटपुट प्रोसेसर मैमोरी तथा प्रोग्राम इन सब भागो का आपसी संबंध है इनके बारे में आगे विस्तार से बताया गया है

प्रोसेसर ( processor )
कंप्यूटर में जो भी कार्य किए जाते हैं उन्हें करने वाले भाग्य मशीन को प्रोसेसर कहा जाता है वास्तव में प्रोसेसर ही असली कंप्यूटर है कंप्यूटर के बाकी भाग तो केवल उसकी सहायता करते हैं प्रोसेसर ही कंप्यूटर का दिमाग है प्रोसेसर का काम है किसी व्यक्ति या उपयोगकर्ता द्वारा दिए गए आदेशों को समझ कर उनका ठीक ठीक पालन करना जोड़ना घटाना आदि अनगढ़ की क्रिया दो संख्याओं की तुलना (comparison)  करना तथा किसी विशेष बात की जांच करना आदि काम प्रोसेसर मैं ही किए जाते हैं.
बड़े कंप्यूटरों में प्रोसेसर को सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट या सी .पी .यू. कहा जाता है. इसके 3 भाग होते हैं मैमोरी,  ए .एल .यू. तथा कंट्रोल .मेमोरी कंप्यूटर की भीतरी मैमोरी internal memory है . इसमें किसी भी समय चल रहे काम से संबंधित डाटा थोड़े समय के लिए रखा जाता है. या मैमोरी वैसे तो प्रोसेसर का ही भाग होती है परंतु इसका बहुत महत्व होने के कारण हम इसके बारे में अलग से पढ़ते हैं  ए .एल .यू .( Arithmatric logical unit )  मैं सभी तरह की गणना और तुलना की जाती है कंट्रोल इकाई का काम होता है हमारे आदेशों को समझ कर उनका सही सही पालन करना और कंप्यूटर के सभी भागों पर नजर रखना और उन्हें नियंत्रित करना.
छोटे कंप्यूटर हो जैसे माइक्रो कंप्यूटर ,पी .सी .आदि में प्रोसेसर या सी .पी. यू. को माइक्रोप्रोसेसर (microprocessor) कहां जाता है .

 मैमोरी (Memory)
जिस प्रकार हम अपने स्मृति (memory ) मैं बहुत सी बातें याद रखते हैं , उसी तरह कंप्यूटर के जिस भाग में सभी डाटा, प्रोग्राम आदि रखे जाते हैं, उसे कंप्यूटर की मैमोरी कहते हैं. हालांकि मनुष्य के दिमाग और कंप्यूटर की मेमोरी में बहुत अंतर है . कंप्यूटर की मैमोरी लाखो छोटे-छोटे खानों में बैठी हुई होती है. ऐसे हर खाने को एक लोकेशन (Location )  या बाइट (Byte) कहा जाता है. हर लोकेशन या बाइट पर एक विशेष क्रम संख्या पड़ी हुई मानी जाती है. उस संख्या को बाइक का पता (address) कहा जाता है. यह ठीक वैसे ही है जैसे मकानों पर नंबर पढ़ते हैं. हर बाइट आठ छोटी-छोटी बिटो  ( Bits)की एक श्रृंखला (series)होती है.  मैमोरी का सबसे छोटा हिस्सा या टुकड़ा बीट ( Bit)कहा जाता है. पेट को आप एक छोटा बल्ब मान सकते हैं. जिस प्रकार कोई बल्ब या तो जल रहा होता है या बुझा होता है, उसी तरह कोई बिटिया तो ऑन होता है या ऑफ इस प्रकार किसी भी की दो स्थितियां हो सकती हैं ऑन या ऑफ इनके अलावा कोई भी सृष्टि नहीं हो सकती. सुधार के लिए हम ऑनबीट को 1 लिखते हैं तथा ऑफबीट को 0लिखते हैं.
कंप्यूटर में भरा जाने वाला डाटा 1और 0 के रूप में ही कंप्यूटर की मेमोरी में रखा जाता है और उसी रूप में उस पर सारा काम किया जाता है. काम करने के इस तरीके को बायनरी सिस्टम  (Binary System)कहा जाता है. कंप्यूटर का सारा काम बायनरी में ही चलता है. इसके बारे में आप आगे पड़ेंगे
किसी कंप्यूटर की मैमोरी का आकार size बाइटोकी संख्या में नापा जाता है. कंप्यूटर की मैमोरी जितनी बड़ी होती है, वह उतना ही तेज और शक्तिशाली powerful माना जाता है.1024 बाइटो को किलोबाइट (kilobyteया k) कहते हैं.1024 किलोबाइटो  को 1 मेगाबाइट megabyte  या mB कहा जाता है.1024 मेगा बाइटो को 1 जीगाबाइट (Gigabyte या GB कहते. कंप्यूटर की मैमोरी प्राय मेगाबाइट  या जीगाबाइट में नापी जाती है . कंप्यूटर की मैमोरी दो प्रकार की  होती  है

1 भीतरी( internal) या मुख्य मैमोरी
  • 2 बाहरी (External )या सहायक ( Auxiliary) मोमोरी
भीतरी मुख्य  मैमोरी कंप्यूटर के प्रोसेसर या सी.पी.यू कहा ही एक भाग होती है. किसी माइक्रो कंप्यूटर या पी.सी की मेमोरी का आकार 1 मेगाबाइट से 512 मेगाबाइट तक होता है.
बाहरी सहायक मेमोरी कंप्यूटर की सी.पी.यू .से बाहर डाटा को लंबे समय के लिए स्थायी रूप से  स्टोर करने के लिए होती है. यह चुम्कीय टेप हार्ड डिस्क फ्लॉपी आदि से बनी होती है. इसका आकार सैकड़ों हजारों मेगा बाइट और जीगाबाइटो  में हो सकता है . इसके बारे में हम आगे बतायेगे.
मुख मेमोरी को भी दो भागों में बांटा जाता है _रैम (RAM) और रोम (ROM). रैम का पूरा नाम' Random Access memory'है, जिसका अर्थ है कि इस मैमोरी को हम अपनी इच्छा से कैसे भी प्रयोग कर सकते हैं . वास्तव में इसमें ऐसे डाटा और प्रोग्रामों को रखा जाता है, जिन्हें थोड़े समय तक रखना हो. यह डाटा तब तक वही बना रहता है, जब तक उसकी जगह पर कोई दूसरा डाटा नहीं रख दीया जाता या कंप्यूटर बंद नहीं कर दिया जाता .कंप्यूटर बंद कर देने पर रैम में रखा हुआ सारा डाटा गायब हो जाता है.
रोम का पूरा रूप है -'Read only memory,'जिसका मतलब है कि इस भाग में रखे डाटा को हम केवल पढ़ सकते हैं. वास्तव में इस भाग में कंप्यूटर बनाने वाली कंपनी द्वारा ऐसा डाटा और प्रोग्राम रखे जाते हैं, जिनकी हमें ज्यादा और रोज जरूरत पड़ती है. रोम में रखे हुए डाटा को ना तो हम हटा सकते हैं और ना उसमें कोई सुधार कर सकते हैं. कंप्यूटर की बिजली बंद हो जाने पर भी रोम में रखा हुआ डाटा सुरक्षित  बना रहता है .
इनपुट (input)
 इनपुट किसी कंप्यूटर का वह भाग है जिसके द्वारा हम अपना डाटा या आदेश या प्रोग्राम कंप्यूटर को देते हैं. इनपुट इकाई में कई मशीनें यह साधन (Devices) हो सकते हैं, जिनसे अलग अलग तरह का इनपुट डाटा या आदेश कंप्यूटर को दिया जा सकता है . इनपुट का सबसे अच्छा साधन है -की - बोर्ड  (key Board). यह टाइपराइटरों के की -बोर्ड जैसा ही होता है, हालांकि इसमें कुछ ज्यादा बटन होते हैं. हम इसमें लगे बटनों को  दबा -दबाकर अपना डाटा तैयार करते हैं और कंप्यूटर में भेज देते हैं. कीबोर्ड के अलावा माउस जॉय स्टिक लाइट पेन स्पीकर आदि भी इनपुट के साधन है इनके बारे में हम आगे बताएंगे .
आउटपुट (output)
आउटपुट कंप्यूटर के उस भाग को कहा जाता है, जिससे हमें अपने काम का परिणाम या उत्तर प्राप्त होता है आउटपुट में कई मशीनें या साधन हो सकते हैं, जिससे हमें कोई तरह का आउटपुट मिलता है. आउटपुट का सबसे ज्यादा सरल और हर जगह पाया जाने वाला साधन है - वी .डी. यू.(visual Display Unit). यह किसी टेलीविजन जैसा होता है, जिसके पर्दे स्क्रीन पर चिन्य सूचनाएं दिखाई जाती है. छपी हुई सूचनाएं या रिपोर्ट देने के लिए प्रिंटर या प्लाटर होते हैं इनके बारे में अब आगे जानेगें.
वीडीयू तथा कीबोर्ड को मिलाकर एक ऐसा साधन बन जाता है, जिससे हम इनपुट और आउटपुट दोनों का काम ले सकते हैं. टर्मिनल कहा जाता है इनपुट आउटपुट के लिए टर्मिनल से ज्यादा सरल और अच्छा साधन दूसरा नहीं है दुनिया भर में लगभग हर कंप्यूटर में टर्मिनल अवश्य होता है इसके बारे में आगे हम और विस्तार से बताएंगे.
प्रोग्राम( program)
अनेक देशों के समूह ग्रुप को प्रोग्राम कहा जाता है. ये ऐसे आदेश होते हैं और इस तरह से लिखे जाते हैं कि यदि कोई उनका सही - सही पालन करता जाए, तो कोई काम पूरा हो जाए. कंप्यूटर जो सैकड़ों तरह से काम करता है, वे वास्तव में प्रोग्राम के द्वारा ही कराए जाते हैं हर काम के लिए एक अलग प्रोग्राम लिखा जाता है. प्रोग्रामों से ही कंप्यूटर को ताकत मिलती है. प्रोग्रामों के बिना कंप्यूटर केवल कुछ पूर्जों का ढेर है .बिना प्रोग्राम के कंप्यूटर कोई काम नहीं कर सकता.
कंप्यूटरों के भेद ( types of Computers )
आकाश और सुविधाओं के आधार पर कंप्यूटर मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते हैं _
(1) मेनफ्रेम कंप्यूटर (mainframe computer)
(2) मिनी कंप्यूटर  ( mini computer)
(3) माइक्रो कंप्यूटर (micro computer)

 मेनफ्रेम कंप्यूटर आकार में बहुत बड़े और काफी जगह घेरने वाले होते हैं .उनपर एक साथ सैकड़ों लोग काम कर सकते हैं. इनकी कीमत भी बहुत ज्यादा होती है .इस कारण बड़ी-बड़ी कंपनिया ही उन्हें खरीद सकती है. आजकल ऐसे कंप्यूटरों की संख्या बहुत कम रह गई है.
मिनी कंप्यूटर आकार में कंप्यूटरों से छोटे होते हैं, परंतु उनकी ताकत मुक् कंप्यूटर से ज्यादा कम नहीं होती. वास्तव में मिनी कंप्यूटर ऐसी कंपनियों के लिए बनाए गए हैं, जिनके पास कंप्यूटर का काफी काम होता है, परंतु वह मुख्य कंप्यूटर नहीं खरीद सकती. मिनी कंप्यूटर का मूल कंपनियों की पहुंच के भीतर होता है. इन पर एक साथ 10- 12 व्यक्ति काम कर सकते हैं. यह एक छोटे कमरे में आ जाते हैं मिनी कंप्यूटर ऐसा हर कार्य कर सकते हैं, जो मुंह कंप्यूटर पर किया जा सकता है. आजकल मिनीकंप्यूटर की संख्या बहुत हो गई है.
सन 1980 के बाद के वर्षों में ऐसी तकनीक आई, जिनसे कंप्यूटर का आकार और भी छोटा हो गया तथा उनकी गति बढ़ गई. माइक्रो कंप्यूटर सामने आए. इनकी कीमत मिनी कंप्यूटरों के मुकाबले में बहुत कम होती है और आकार में यह इतने छोटे होते हैं कि एक छोटी सी मेज पर आसानी से आ जाते हैं .इन पर एक बार में केवल एक आदमी काम कर सकता है.
माइक्रो कंप्यूटर का ही दूसरा रूप पर्सनल कंप्यूटर है. जिस संक्षेप में पीसी कहा जाता है
 सबसे पहले इन्हें आई.बी.एम .कंपनी द्वारा बनाया गया था. पीसी के बारे मैं आप आगे और भी विस्तार से पड़ेंगे.
इन तीन तरह के कंप्यूटरों के अलावा नए कंप्यूटर में सुपर कंप्यूटर भी है . यह अकेले ही कई मुख्य कंप्यूटरों के बराबर होते हैं इनका मूल भी करोड़ों में होता है. भारत में भी (परम )नामक एक सुपरकंप्यूटर बनाया गया है.

Item Reviewed: कंप्यूटर की संरचना (structre of computer ) Description: Rating: 5 Reviewed By: Brejesh Kumar